उत्तराखंड की धारी देवी की संपूर्ण जानकारी

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धारी देवी उत्तराखंड राज्य की एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के अलमोड़ा क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि मंदिर ने कुछ समयों में अपने स्थान से हटाने से इनकार करते हुए भूमिगत होते दिखाई दिया है। मान्यता है कि धारी देवी मंदिर भारतीय महाकाव्य रामायण के महाकाव्य कवि महर्षि वाल्मीकि जी के समय से वर्षों से पूजे जाते आए हैं। मंदिर का मुख्य उद्देश्य सती माता के पावन शरीर के अंगों का अवशेष है जिन्हें मान्यता है कि यहां अवशेष हैं। मंदिर के समीप एक बड़ा मेला भी लगता है जिसे माघ मेला या धारी मेला के नाम से जाना जाता है। मेले के दौरान कई लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से आकर पूजा करते हैं और धारी देवी के आशीर्वाद से भरपूर होते हैं।

baba neem karoli Maharaj history

नीम करोली बाबा, जिन्हें महाराजजी के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू आध्यात्मिक शिक्षक और संत थे, जो 20वीं शताब्दी में उत्तरी भारत में रहते थे। उनका जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश राज्य के अकबरपुर गाँव में हुआ था, और उन्हें देवता हनुमान के प्रति समर्पण, उनके सरल और दयालु स्वभाव और उनसे मिलने वालों के जीवन को बदलने की उनकी क्षमता के लिए याद किया जाता है।

 नीम करोली बाबा का कई लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिनमें कई पश्चिमी लोग भी शामिल थे, जो 1960 और 1970 के दशक में उनकी शिक्षाओं से आकर्षित हुए थे। उनके सबसे प्रसिद्ध शिष्यों में से एक आध्यात्मिक शिक्षक राम दास थे, जिन्होंने नीम करोली बाबा के साथ अपने अनुभवों के बारे में "Be Here Now" पुस्तक लिखी थी।

 1973 में नीम करोली बाबा की मृत्यु के बाद, उनके अनुयायियों ने उनकी याद में कई आश्रम और मंदिर बनाए, जिनमें से एक उत्तराखंड राज्य के कैंची शहर में भी है, जो उनके भक्तों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल बन गया है।

 आज, नीम करोली बाबा को प्रेम और करुणा के अवतार के रूप में याद किया जाता है, और उनकी शिक्षाएं दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती रहती हैं।



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