उत्तराखंड की धारी देवी की संपूर्ण जानकारी

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धारी देवी उत्तराखंड राज्य की एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के अलमोड़ा क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि मंदिर ने कुछ समयों में अपने स्थान से हटाने से इनकार करते हुए भूमिगत होते दिखाई दिया है। मान्यता है कि धारी देवी मंदिर भारतीय महाकाव्य रामायण के महाकाव्य कवि महर्षि वाल्मीकि जी के समय से वर्षों से पूजे जाते आए हैं। मंदिर का मुख्य उद्देश्य सती माता के पावन शरीर के अंगों का अवशेष है जिन्हें मान्यता है कि यहां अवशेष हैं। मंदिर के समीप एक बड़ा मेला भी लगता है जिसे माघ मेला या धारी मेला के नाम से जाना जाता है। मेले के दौरान कई लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से आकर पूजा करते हैं और धारी देवी के आशीर्वाद से भरपूर होते हैं।

भगवान शिव जी का इतिहास और उनके बारे मैं कुछ रोचक तथ्य

भगवान शिव हिंदू धर्म के त्रिमूर्ति में से एक हैं। वे धरती पर त्रिशूल लिए अपनी तपस्या करते हुए भगवान बने थे। शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है क्योंकि उनका गला नीले रंग का था।

शिव की पत्नी का नाम पार्वती था और उनके दो बेटे थे - गणेश और कार्तिकेय। शिव भगवान का वाहन नंदी और उनके स्वयं के धनुष का नाम पिनाक था।

शिव के बारे में कई कहानियां हैं। उनमें से एक कहानी यह है कि एक बार देवी सती ने अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन उनके पति भगवान शिव को नहीं बुलाया गया था। सती ने इसके बावजूद अपने पिता के यज्ञ में शामिल होने का फैसला किया लेकिन उनके मायके में उन्हें निर्ममता से नहीं देखा गया। सती अपने आप को अग्नि में जलाकर आत्महत्या कर ली।



भगवान शिव के कई अवतार हैं, लेकिन उनके पांच प्रमुख अवतार निम्नलिखित हैं:

1- पशुपति नाथ - शिव का सबसे प्राचीन अवतार है, जो पशुपति नाथ के रूप में जाना जाता है।

2- अर्धनारीश्वर - इस अवतार में, शिव को एक पुरुष और एक स्त्री के संयोग में दर्शाया जाता है। इससे शिव और पार्वती का मिलन दर्शाया जाता है।

3-नटराज - नटराज अवतार में, शिव को तांडव नृत्य करते हुए दर्शाया जाता है।

4-भैरव - भैरव अवतार में, शिव को एक भयंकर रूप में दर्शाया जाता है जो रक्तपात करता है।

5-रुद्र - रुद्र अवतार में, शिव को भयंकर रूप में दर्शाया जाता है जो प्रकृति के विनाशकारी अस्तित्व को नष्ट करता है।


शिवरात्रि क्यू बनाई जाती है 

शिवरात्रि हमारे हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है, जो शिव भक्तों द्वारा विशेष उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा और उनकी भक्ति के लिए मनाया जाता है।

शिवरात्रि को हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन उन्होंने महाशिवरात्रि की व्रत कथा सुनाई थी। इस दिन के उत्सव के दौरान भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनकी भक्ति करते हैं। इस दिन को ज्यादा तर जागरण और ध्यान धारण के साथ बिताया जाता है जिससे उनकी कृपा मिले।

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